अगर मैं एक गीत होति
तुम उसके बोल होति
मुखड़ा तुम्हारी हर वो नादान्नगी बयान करती
अंतरा तुम्हारी हर वो बात
अगर मैं चांद होता
तोह रात तुम होती
तारों के संग लुखा चुप्पी तुम खेलती
जुगनू की सुबह तुम होती
अगर मैं एक कविता होता
उसका लेख तुम लिखती
कभी आंधी में मिलती मुझे
कभी फूलो में छिपति
अगर मैं नदी होता
बहते पानी का साज़ तुम होती
आलेख अतीत का मेरे तुम रखती
मेरे होने की गवाह तुम होती
अगर मैं मिट्टी होता
तोह सांस उसमे तुम भर्ती
जीने की वजह तुम होती
बाकायदा जीवन तुम होती
In Roman