I write poems on topics that move me in Hindi and in English. You may also find a few sketches which I try to sometimes draw for fun's sake (I am no good).
Thursday, February 14, 2019
Shayad
न ज़रूरत थी जान ने की
न ज़रूरत थी बात करने की
फिर भी यूँ चले आये
फिर भी क्यों हाथ बढ़ाये
शायद कुछ रह गया था बाकी
या नया कुछ शुरू होने को है
शायद हमारी कोई अधूरी कहनी है
या एक नए सिलसिले की डोर बंधने को है
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